Friday, February 9, 2018

राजेंद्र धस्माना: एक युग का अवसान!

-सुरेश नौटियाल
गढ़वाली थियेटर के पुरोधागांधी वांग्मय के पूर्व प्रधान संपादकदूरदर्शन और आकाशवाणी के समाचार संपादकउत्तराखंड आंदोलन के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर और कवि राजेन्द्र धस्माना जी का निधन गत 16 मई 2016 को दिल्ली में हुआ.
उनके शोक-संतप्त परिवार में पत्नी बसंतीविवाहित पुत्री परिधि धस्माना-नेगी और उनका परिवार, दो बेटे (केंद्रज और उसका परिवार तथा इन्दिवजल) ही नहीं बल्कि एक भरपूर विस्तारित परिवार है, जिसमें उनका भाई नरेंद्र और उसका परिवार, भतीजा पर्यंत और उसका परिवार, तीन बहनें और उनके परिवार ही नहीं बल्कि अनेक संबंधी, अनेक मित्र और शुभचिंतक आते हैं.
16-17 मई 2017 की मध्यरात्रि को धस्मानाजी के छोटे पुत्र इन्दिवजल का मेरे फेसबुक मैसेंजर में संदेश आया. नींद के झोंके में एक बार तो मन हुआ कि संदेश नहीं देखता हूं, पर फिर सोचा कि इतनी रात गए संदेश आया तो अवश्य कुछ बात होगी. मन में एक खटका सा भी था. इसलिए संदेश देखा. आघात हुआ पर आश्चर्य नहीं क्योंकि देर रात संदेश आने की घटना ने मन में एक तर्क तो गढ़ ही लिया था. इन्दिवजल ने संदेश में लिखा था पिताजी (धस्माना जी) नहीं रहे. बस इतना ही. कुछ अतिरिक्त जानकारियां लीं और मैंने भी अपनी वाल पर इस बारे में संक्षेप में लिख दिया. सवेरे उठा और सबसे पहले चन्दन डांगी द्वारा संपादित और पहाड़ संस्था द्वारा प्रकाशित संकलन “उत्तराखंड की प्रतिभाएं” निकाला और उसमें से सामग्री लेकर धस्मानाजी के बारे में एक पोस्ट डाला.
धस्मानाजी और मेरी मित्रता तीन दशक से भी अधिक समय तक रही, पर तब भी मुझे इस संकलन की आवश्यकता हुयी और यह बात भी समझ में आयी कि प्रतिभाओं और विभूतियों के बारे में सूचना संकलन कितना आवश्यक है.
अगले दिन निगमबोध घाट पर अनेक मित्र मिले. अधिकतर कॉमन फ्रेंड्स. धस्माना जी के बारे में बातें होती रहीं. कोई उनके व्यक्तित्व के बारे में तो कोई उनके कृतित्व के बारे में और कोई उनकी सहजता के बारे में. पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, संस्कृतिकर्मी, नाटक कलाकार, राजनीतिक कार्यकर्ता, संबंधी, मित्र, प्रशंसक, वैचारिक मित्र, इत्यादि, इत्यादि सब प्रकार के लोग वहां उपस्थिति थे.  
मैंने इन्दिवजल से पूछा कि एक प्रगतिशील व्यक्ति का अंतिम संस्कार जमुना के गंदे पानी और नितांत गंदगी के बीच क्यों किया जा रहा है? वह मेरी बात से सहमत था और उसने स्वयं भी कहा कि पिताजी यह सब पसंद नहीं करते थे पर परिवार वालों का सामूहिक निर्णय हावी रहा. यह बात बाद में 28 मई को प्रेस क्लब में स्मृतिसभा के दौरान सीपीआई-एमएल लिबरेशन के नेता राजा बहुगुणा ने भी उठायी. उन्होंने कहा कि वह पारंपरिक अंतिम क्रिया का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन धस्मानाजी जैसे प्रगतिशील और पर्यावरण के लिए चिंतित व्यक्ति की अंतिम क्रिया इस प्रकार किया जाना उचित नहीं था. यह बात सही भी है.   
27 मई 2017 को नयी दिल्ली के जोरबाग स्थित आर्य समाज भवन में उनकी तेरहवीं का कार्यक्रम भजन और स्मृतिसभा के साथ हुआ. अगले दिन 28 मई को प्रेस क्लब ऑव इंडिया सभागार में क्लब की सहायता से उनकी स्मृति में एक सभा का आयोजन किया गया.   अनेक लेखकोंपत्रकारोंरंगकर्मियों, सामजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और समाज के अन्य वर्गों के लोगों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. वक्ताओं ने उन्हें बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताया.
स्मृतिसभा के अध्यक्ष प्रो. सच्चिदानंद सिन्हा ने कहा कि उनका व्यक्तित्व चुंबकीय था और उनके साथ विचारों की असमानता के बाद भी उनके प्रति सम्मान और श्रद्धा का भाव स्वत: उपस्थित हो जाता था. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी-एमएल लिबरेशन के नेता राजा बहुगुणा ने कहा कि वह लेखक और पत्रकार ही बल्कि एक बड़े आंदोलनकारी भी थे.
स्मृति-सभा में धस्माना जी के परिवार के सदस्य उपस्थित थे -- सच्चिदानंद सिन्हाजेबी सिंह नेगीपरिधि धस्माना-नेगीइन्दिवजल धस्मानानरेन्द्रधस्मानापर्यन्त धस्माना और खगोलिम नेगी. अन्य उपस्थित-जन में महत्वपूर्ण थे: विधिवेत्ता रविकिरण जैन, एक्टिविस्ट (गिरिजा पाठक, अरुण कुमार सिंहभूगर्भशास्त्री आर श्रीधरहाई हिलर्स के अनेक संस्कृतिकर्मी (गिरीश सिंह बिष्टगिरधारी सिंह रावतदिनेश बिजलवाण, कुसुम बिष्ट, संयोगिता पन्त-ध्यानी, कुसुम चौहान, महेंद्र सिंह रावत, धीरज कोठियाल इत्यादि)नाट्य-निर्देशक डॉ. सुवर्ण रावतएक्टिविस्ट राजेन्द्र रतूड़ीसंस्कृतिकर्मी किशोर शर्माअनेक पत्रकार (अनंत मित्तल, कृष्णकान्त उनियालसुनील नेगीदाताराम चमोली, उमाकांत लखेड़ा, व्योमेश जुगरान, नीरज जोशी और विनोद ढौंडियाल), लेखक (रमेश घिल्डियाल और मदन थपलियाल), संस्कृतिकर्मी (चन्दन डांगीहेम पन्तकेएन पांडेय) इत्यादि.
इनमें से अधिकतर ने धस्मानाजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला और कहा कि उनके कार्य को आगे ले जाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.सुरेश नौटियाल ने उनकी स्मृति में एक ट्रस्ट बनाकर उनकी रचनाओं को छापनेउनकी पुस्तकों की लाइब्रेरी बनाने और उनके कृतित्व को आगे बढाने का सुझाव दिया.
धस्माना जी का जन्म अप्रैल 1937 को गढ़वाल जनपद के एकेश्वर ब्लॉक में बग्याली ग्राम में पंडित चंडीप्रसाद धस्माना और कलावती देवीजी के घर मेंहुआ था. उन्होंने स्नातकोत्तर शिक्षा और पत्रकारिता तथा जन-संपर्क में में डिप्लोमा किया था. वर्ष 1955 से ही हिंदी कविताओं की रचना आरंभ की. उनका कविता-संग्रह “परिवलय” कविता को निस्संदेह एक नया आयाम देता है और कविता को वैज्ञानिकता के साथ समझने की दृष्टि भी देता है.
साथ के दशक से वह गढ़वाली नाट्य-क्षेत्र में उतारे और जीवन-पर्यंत उसमें रमे रहे. अर्धग्रामेश्वर” सहित अनेक महत्वपूर्ण नाटक उन्होंने लिखे तथा गढ़वाली भाषा के विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान किया. दिल्ली में जागर और दि हाई हिलर्स ग्रुप जैसी नाट्य-संस्थाओं के साथ उनका लंबा साथ रहा.
वह एक समय में गढ़वाल हितैषिणी सभा दिल्ली के अध्यक्ष भी रहे उत्तराखंड पीयूसीएल के अध्यक्ष भी रहे. उत्तराखंडी अधिकारियों की संस्था उत्तरायण के भी वह पदाधिकारी रहे और इस संस्था की अनेक महत्वपूर्ण स्मारिकाओं का संपादन भी उन्होंने किया. उत्तराखंड के विभिन्न पक्षों पर एक अंग्रेजी पुस्तक का भी उन्होंने संपादन किया.
उत्तराखंड राज्य आन्दोलन सहित क्षेत्र के सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्रों में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा. उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के गठन और उसे राजनीतिक दिशा देने में भी उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही. इस पार्टी का संविधान और नीतिपत्र बनाने वाली समिति के भी वह सदस्य रहे.
रंगकर्मराजनीतिसमाजसेवाघुमक्कड़ीग्राम-विकाससाहित्य-संस्कृतिलोक संचित ज्ञानगांधी-दर्शनपत्रकारिता-मीडियामानवाधिकार इत्यादि क्षेत्रों में उनकी गहरी रुचि थी और इन क्षेत्रों में उनका योगदान भी महत्वपूर्ण रहा.
सतत स्वाध्यायघुमक्कड़ी और जन-संपर्क से ज्ञान और अनुभव अर्जन उन्हें बहुत पसंद थे. उनका सन्देश था कि अपने जीवन का कुछ समय अन्य के लिए भी जिया जाना चाहिए.
संक्षेप में इतना ही कि उनके साथ लोगों के लाख मतभेद रहे हों, पर उनका जाना समाज और सामाजिकता के लिए, साहित्य के लिए, रंगकर्म के लिए, प्रगतिशील और लोकतांत्रिक राजनीति के लिए, मानवाधिकारों और पारिस्थितिक मूल्यों के लिए बहुत बड़ी क्षति हैं. सच में उनके निधन से उत्तराखंड के संदर्भ में एक यूग का अवसान हो गया है!

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